गांधी के देश में गोडसे की विचारधारा हावी
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दूसरे कार्यकाल की पहले वर्षगाँठ के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण से देश हुआ स्तबद्ध
आज पुरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को ध्यान से सुन रहा था प्रधानमंत्री अपने दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष गांठ के अवसर पर अपनी उपलब्धियों को गिनाने के दौरान उनके माथे पर देश दुनिया के वर्तमान त्रासदी को परिलक्षित करने वाली एक भी लकीर नजर नहीं आ रही थी प्रधानमंत्री ने अपने पूरे भाषण में कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि जिस देश के वह प्रधानमंत्री हैं वह देश साझी संस्कृति और साझी विरासत का देश है गंगा जमुनी तहजीब का देश है। यह बुद्ध, नानक, चिश्ती और सैकड़ों सूफियों संतों का देश है। उनकी बॉडी लैंग्वेज यह बता रही थी कि वह मानसिक रूप से दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक मूल्यों वाले देश के संवैधानिक दायरे से बाहर निकल कर अपनी सोच को आर एस एस के एजेंदे को समर्पित कर चुके हैं उनके भाषण को सुनकर पूरा देश स्तब्द्ध था उल्लेखनीय हैं कि भाजपा द्वारा भारी बहुमत से विजय पताका फहराने के बाद पिछले वर्ष 30 मई को ही प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपने दुसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण किया था उनके बाद उन्होंने सांसद भवन के कांफ्रेंस हॉल में सबसे पहले भारतीय संविधान के सामने सजदा किया था फिर उन्होंने संसदीय दल के सदस्यों को संबोधित करते हुए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के रूप में रेखांकित किया था देश के आम जनता को उस समय यह लगा था कि पुनः बहुमत के साथ सरकार में आने के बाद नरेंद्र मोदी की कार्य प्रणाली में अटल बिहारी बाजपाई वाले राज धर्म की भावना की थोड़ी बहुत जगह जरूर मिलेगी परंतु व्यावहारिक रूप से ऐसा नहीं हुआ कदम कदम पर देश के संप्रदाय के सद्भाव के वातावरण को न केवल नुकसान पहुंचाया गया बल्कि राष्ट्रवाद, हिंसक हिंदुत्व को बढ़ावा देकर पूरे देश को अशांति की आग में धकेल देने का प्रयास किया गया जिस देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह धराशाई हो चुकी हो किसानों मज़दूरों और गरीबी के रेखा से नीचे जीने वाले लोंगो के सामने भूखों मरने की स्थिति उत्पन्न हो गई हो बेरोजगारी का स्तर रिकॉर्ड तोड़ चुका हो कॅरोना संक्रमण तेजी से पांव फैला रहा हो और 60% आबादी के पास इसके बचने का कोई उपाय नहीं हो, सरकारी व्यवस्था पूर्णतः फेल हो चुकी हो उस देश का प्रधानमंत्री अनावश्यक तीन तलाक कानून बनाने, कश्मीर को उसके विषेश दर्जे से महरूम कर देने और धार्मिक आधार पर नागरिकों में भेद भाव करने वाले नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू करने जैसे अमानवीय और अलोक तांत्रिक कार्यों को अपनी उपलब्धियों के रूप में गिना रहे हो उस देश के प्रधानमंत्री की मानसिक हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है प्रधानमंत्री के भाषण को ध्यान से सुनने वाले का कहना है कि गांधी के देश में गोडसे की विचारधारा पूरी तरह से हावी हो चुकी है।
अशरफ अस्थानवी
2 Comments
6 salon mai desh jitna barbad hua 70 salon mai kabhi nahi hua....is desh ko CONGRESS HI CHALA SAKTI HAI...
ReplyDeleteRi8
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